अपवाह तंत्र class11 chapter Important short and long questions chapter 3 geography book 2 Drainage System apvah tantr
0Eklavya Study Pointसितंबर 17, 2024
प्रश्न - जल संभर क्षेत्र के आधार पर भारतीय अपवाह द्रोणियों को कितने भागों में बांटा गया है ?
उत्तर -
जल संभर क्षेत्र के आधार पर भारतीय अपवाह द्रोणिया
1. प्रमुख नदी द्रोणी
इनका अपवाह क्षेत्र 20000 वर्ग किलोमीटर से अधिक है इसमे 14 नदी द्रोणी शामिल है जैसे गंगा ब्रह्मपुत्र कृष्णा आदि
2. मध्यम नदी द्रोणी
जिनका अपवाह क्षेत्र 2000 से 20000 वर्ग किलोमीटर है इसमे 44 नदी द्रोणियाँ शामिल है जैसे कालिंदी पेरियार आदि
3. लघु नदी द्रोणी
जिनका अपवाह क्षेत्र 2000 वर्ग किलोमीटर से कम है इसमे न्यून वर्षा के क्षेत्रों में बहने वाली बहुत सी नदियां शामिल है
प्रश्न - भारत की नदियाँ प्रदूषित क्यों है? कोई तीन कारण लिखे
उत्तर -
औद्योगिक कूड़ा-कचरा तथा घरेलू क्रियाकलापों से निकलने वाले अपशिष्ट को गंदे नालों द्वारा बहाकर भारत की नदियों में लाया जाता है।
बहुत से शमशान घाट नदी किनारे हैं और कई बार मृत शरीरों या उनके अवशेषों को नदियों में बहा दिया जाता है।
कुछ त्योहारों पर फूलों और मूर्तियों को नदियों में विसर्जित किया जाता है।
प्रश्न - हिमालयी अपवाह तंत्र की कौन-सी नदी बाढ़, मार्ग परिवर्तन और तटीय अपरदन के लिए जानी जाती है? और क्यों?
उत्तर -
ब्रह्मपुत्र नदी बाढ़ मार्ग परिवर्तन एवं तटीय अपरदन के लिए जानी जाती है।
इसकी अधिकतर सहायक नदियाँ बड़ी हैं जो भारी मात्रा में जल प्रवाहित करती हैं जिससे यह वर्षा ऋतु में भारी बाढ़ से असम में तबाही मचाती है।
ब्रह्मपुत्र के जलग्रहण क्षेत्र में भारी वर्षा के कारण इसमें अत्यधिक अवसाद बहकर आता है, जिससे इसकी तली में अवसाद जमा हो जाने से यह तटीय अपरदन करती है ।
प्रश्न - नमामी गंगे परियोजना क्या है इस परियोजना के दो उद्देश्य बताइए।
उतर -
नमामी गंगे परियोजना एक एकीकृत संरक्षण मिशन है जो जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया।
इसका प्रथम उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को रोकना।
गंगा नदी को संरक्षित कर उसकी कायाकलप करना था।
प्रश्न - नमामी गंगे परियोजना क्या है इस परियोजना के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर -
नमामी गंगे परियोजना एक एकीकृत संरक्षण मिशन है जो जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया।
इसका प्रथम उद्देश्य गंगा नदी के प्रदूषण को रोकना।
गंगा नदी को संरक्षित कर उसकी कायाकलप करना था।
प्रश्न - नदी द्रोणी और जल संभर में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
बड़ी नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र को नदी द्रोणी कहते है।
नदी द्रोणी का आकार बड़ा होता है।
छोटी नदियों व नालो द्वारा अपवाहित क्षेत्र को जल सभर कहा जाता है।
प्रश्न - कालांतर में इंडो ब्रहमा नदी किन तीन अपवाह तंत्रों में विभजित हुई प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
पश्चिम में सिंध और उसकी पांच सहायक नदियाँ।
मध्य में गंगा और उसकी सहायक नदियाँ।
पूर्व में ब्रहमपुत्र व उसकी सहायक नदियाँ।
प्रश्न - नदी जल उपयोग से जुड़ी मुख्य समस्याएँ कौन-सी हैं?
उत्तर -
पर्याप्त मात्रा में जल का उपलब्ध न होना।
नदी जल प्रदूषण
नदी जल में भारी मात्रा में गाद मिट्टी का विद्यमान होना ।
जल बहाव में ऋतुवत परिवर्तनशीलता ।
राज्यों के बीच नदी जल विवाद
मानव बसाव के कारण नदी वाहिकाओं का सिकुड़ना ।
प्रश्न - नदी जल उपयोग से जुड़ी मुख्य समस्याएँ कौन-सी हैं?
उत्तर-
पर्याप्त मात्रा में जल का उपलब्ध न होना।
नदी जल प्रदूषण
नदी जल में भारी मात्रा में गाद मिट्टी का विद्यमान होना ।
जल बहाव में ऋतुवत परिवर्तनशीलता ।
राज्यों के बीच नदी जल विवाद
मानव बसाव के कारण नदी वाहिकाओं का सिकुड़ना ।
प्रश्न - नदियों की उपयोगिता पर संक्षेप में टिप्पणी करे ?
उत्तर -
1. सिंचाई
भारतीय नदियों के जल का सबसे अधिक उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है
भारतीय नदियों में प्रतिवर्ष 1.67 करोड़ घन मीटर जल बहता है
जिसमे से 55,517 करोड़ घन मीटर जल सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है
2. जल शक्ति
उत्तर में हिमालय, पश्चिम में विंध्यानचल सतपुड़ा और अरावली ,पूर्व में मेकल और छोटा नागपूर, उत्तरपूर्व में मेघालय के पठार और पूर्वाञ्चल तथा दक्कन के पठार के पश्चिमी और पूर्वी घाट पर बड़े पैमाने पर जल शक्ति के विकास की संभावनाएं है
देश में इन नदियों से लगभग 4.1 करोड़ किलोवाट जल शक्ति का उत्पादन किया जा सकता है
3. जलमार्ग
देश की विभिन्न नदियों के देश के प्रमुख और उपयोगी जलमार्ग है
देश के लगभग 10,600 किमी लंबे जलमार्ग है।
इनमे से 2480 किमी लंबी नदियों में स्टीमर और बड़ी नावे ,3920 किमी लंबी नदियों मे मध्यम आकार की देशी नावे और 4200 किमी लंबी नहरों में देशी छोटी नावे चल सकती है
गंगा ब्रह्मपुत्र और महानदी प्रमुख जलमार्ग की नदियां है।
प्रश्न - हिमालायी अपवाह तंत्र एवं प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र में कोई पाँच अंतर स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर -
1. हिमालयी अपवाह तंत्र
ये नदियां हिमालय से निकल कर उपजाऊ मैदानों में होकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है
हिमालाई अपवाह तंत्र नवीन है
यहाँ नदियां विसर्प बनाती है और अपने मार्ग बदल देती है
ये नदियां हिमालय के हिमाच्छादित क्षेत्रों से जल प्राप्त करती है और पूरे साल भर बहती रहती है इसलिए ये बहरमासी है
ये नदियां अपने विकास की युवावस्था में है और अपने मार्ग में अपरदन का कार्य करती हुई अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती है
गंगा ब्रह्मपुत्र का डेल्टा विश्व प्रसिद्ध है
2. प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र
ये नदियां पश्चिमी घाट एवं पठार से निकलकर पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है
प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र पुराना है
प्रायद्वीपीय नदियां सुनिश्चित मार्ग पर चलती है तथा ये विसर्प नहीं बनाती है
ये नदियां वर्षा पर निर्भर रहती है इसलिए ग्रीष्म ऋतु में सूख जाती है
ये नदियां अपने विकास की प्रोढावस्था में है इनकी नदी घाटियां चौड़ी एवं उथली है।
प्रश्न - भारत में नदियों को जोड़ने के सामाजिक और आर्थिक लाभ क्या है?
उत्तर -
भारत में नदियों को जोड़ने के निम्नलिखित लाभ होंगे:
बड़ी नदियों में जल शक्ति की भारी संभावनाएं है उत्तर में हिमालय, मध्य में सतपुड़ा ,पूर्व में छोटा नागपूर ,उत्तरपूर्व में मेघालय तथा पूर्वी और पश्चिमी घाट पर जल शक्ति की भारी संभावनाएं है
यदि इन नदियों के अतिरिक्त जल को कम जल वाली नदियों में जोड़ दिया जाए तो कृषि में सिंचाई के लिए जल की आपूर्ति संभव है
नदियों को आपस में जोड़ने से अन्न उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी तथा जल शक्ति का उत्पादन बढ़ जाएगा साथ ही बाढ़ व सूखे की स्थितियों से राहत मिलेगी
प्रश्न - नदी जल उपयोग की सीमाओं का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर -
भारत में नदियां प्रतिवर्ष जल की विशाल मात्रा का वहन करती है परन्तु समय व स्थान की दृष्टि से इसका वितरण समान नही हैं।
सदानीरा नदिया वर्षभर जल का वहन करती है लेकिन अनित्यवाही नदियों में शुष्क ऋतु में बहुत कम जल होता है।
वर्षाकाल में जल की बड़ी मात्रा समुन्द्र में यह जाती है।
जब एक प्रदेश में बाढ़ आती है वहीं दूसरे प्रदेश सूखा त्रासदी के रूप में रहते हैं।
नदियों के जल की उपलब्धता तथा उसके प्रबन्धन में पूर्ण रूप से सामंजस्य नहीं है।
जल आधिवयता क्षेत्र से कम जल क्षेत्र को जल का स्थानांतरण साकार नही हो पाता है, कुछ क्षेत्रों में नहरी तंत्र के विकास ने इस ओर कदम बढ़ाया है।
प्रश्न - गोदावरी नदी तंत्र की पांच प्रमुख विशेषताओ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
प्राकृतिक सौन्दर्य और उपयोगिता की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण नदी है।
विशाल आकार एवं विशाल के कारण इसे दक्षिण की गंगा के नाम से पुकारा जाता है।
यह महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यंबक स्थान से निकलती है तथा आंध्र प्रदेश में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में जल विसार्जित करती है।
गोदावरी अपनी सहायक नदियों के साथ महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और उड़ीसा राज्यों के कुछ भागों का जल बहाकर ले जाती है।
इसका जलग्रहण क्षेत्र 3.13 लाख वर्ग किमी. है।
उत्तर की ओर से इसमें प्रवाहित पैनगंगा, वैनगंगा और इन्द्रावती सहायक नदिया आकर मिलती है।
दक्षिण की मिलने वाली नदियों में मंजीरा है।
यह नदी कई घाटाओं में विभक्त होकर एक वृहत डेल्टा का निर्माण करती है।
प्रश्न - अपनी द्रोणी और सांस्कृतिक महत्त्व दोनों के दृष्टिकोण से गंगा भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी है। प्रमाणित कीजिए ?
उत्तर -
उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से निकलती हैं।
देव प्रयाग में भागीरथी और अलकनन्दा दोनों आपस में मिलती है। इसके बाद यह गंगा कहलाता है।
गंगा नदी हरिद्वार में मैदान में प्रवेश करती है।
यह दक्षिण मुखी होकर दो धराओं भागीरथी और हुगली में विलान हो जाती है।
बांग्लादेश में प्रवेश करने पर इसका नाम पद्मा हो जाता है।
गंगा नदी की लम्बाई 2525 कि.मी. है। यह भारत का सबसे बड़ा अपवाह तंत्र है।
यमुना, गंगा की सबसे पश्चिमी और सबसे लंबी सहायक नदी है।
सोन इसके दाहिने किनारे पर मिलने वाली प्रमुख सहायक नदी है।
बायें तट पर मिलने वाली महत्वपूर्ण सहायक नदियां, रामगंगा गोमती घाघरा, गंडक, कोसी व महानन्दा हैं।
प्रश्न - ब्रह्मपुत्र नदी की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
यह तीन देशों में होकर बहती हैं।
ब्रहमपुत्र, कैलाश पर्वत श्रेणी में मानसरोवर झील के निकट चेमायुंगडुंग हिमनद से निकलती है।
तिब्बत में इसे सांगपो के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है पवित्र करने वाला
मध्य हिमालय में नमचा बरवा के निकट गहरे महाबड़ का निर्माण करती है।
अरूपाचल प्रदेश में सादिया कस्बे के पश्चिम में यह भारत में प्रवेश करती है।
दिबांग या सिकांग लोहित इसकी प्रमुख सहायक नदिया है।
यहां से यह ब्रहमपुत्र के रूप में जानी जाती है।
असम घाटी में 750 कि.मी. कर यात्रा में अनेक सहायक नदियां आकर मिलती है।
बांग्लादेश में प्रवेश कर दक्षिण दिशा में बहती है, यहां इसे जमुना कहते है। अंत में पदमा के साथ मिलकर बंगा की खाड़ी में गिरती है।